नमस्कार, जय सिया राम आप सभी को। सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी हमारे हिंदू धर्म में कई कहानियां बताई हैं, मुझे जो सही लगती है वो में आज आपको बताना चाहती हूं। इस पूरे ब्रह्मांड को जो शक्ति चलाती है वो निर आकर है, जिसका न कोई नाम है न आकार पर अलग अलग धर्म अलग अलग ईश्वर को मानते है जो सबको लगता है कि वही इस संसार को चलाते हैं तथा वही हमारी सुनते हैं , वही हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें देते हैं पर शक्ति एक ही है जिसके हमने भिन्न भिन्न

नाम रखे हैं , अब हमारे हिंदू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति , त्रिदेवों तथा त्रिदेवियों की उत्पत्ति कैसे हुई ये में आपको बताना चाहती हूं। हमारे हिंदू धर्म में जो निर आकार शक्ति बताई गई है वो है ओंकार । यह ओंकार ही है जिसने हर चीज को टिकाया हुआ है वरना ब्रह्मांड में जो ग्रह , नक्षत्र , अनगिनत तारे हैं वो गिरते क्यों नहीं , क्योंकि कोई तो शक्ति है जो इन सबको थामे हुए है अब चाहे विज्ञान में उसे गुरुत्वाकर्षण कह लो , पर ये गुरुत्वाकर्षण भी तो शक्ति है। अब कहानी यह है कि जब ओंकार ने ब्रह्मांड की रचना करने के लिए शक्ति को स्वयं से पृथक किया । तब यह पृथ्वी जल मग्न थी, अब शक्ति ने रचना करने के लिए माध्यम ढूंढना प्रारंभ किया , कई हजारों वर्षों तक घूमने के पश्चात उन्हे मिट्टी का एक पिंड मिला जिसे उहोंने आकार देने का निर्णय किया , जैसे ही वो जीवित हुए शक्ति ने उन्हे अपने साथ सृष्टि की रचना करने को कहा , पर उन्होंने मना कर दिया क्योंकि उनके

अनुसार उन्हें जन्म शक्ति से मिला इसलिए वो उनकी माता हुई, वो थे सतगुण इसलिए उन्होंने इनकार कर दिया, शक्ति ने कहा में तुम्हे वापस पिंड बना दूंगी पर वो नहीं माने और वापस पिंड बन गए, अब कुछ समय पश्चात शक्ति को एक और पिंड मिला जो थे रज गुण, उन्होंने भी मना कर दिया और कहा आपको आगे तमो गुण मिलेगा , वो आपका काम कर देगा , मेरे लिए आप माता हैं , में आपका कहा नहीं मान पाऊंगा , अब वो भी पिंड बन गए, अब कुछ और समय पश्चात उन्हे तमो गुण का पिंड मिला जो उनका कार्य करने के लिए तैयार हो गए, उस शरीर जो पहले केवल शव समान था उसमे शक्ति का ई मिलाया तो उनका नाम रखा शिव , अब शक्ति ने उस पिंड से एक और आकृति बनाई जिसे अपनी शक्ति दी और उन्हे शिव की शक्ति , उनकी अर्धांगिनी बना दिया , पहले पिंड से नारायण की उत्पत्ति की , नारायण की नाभी से ब्रह्म देव की उत्पत्ति हुई, वो शक्ति जिन्होंने यह सब किया उन्हे मां आदि शक्ति कहते हैं ,उन्होंने त्रिदेवों के उत्तर दायित्व उन्हे बांट दिए, ब्रह्म देव को सृष्टि की उत्पत्ति करने को कहा, नारायण को उस सृष्टि का पालनकर्ता बनाया, और भगवान शिव को सृष्टि का संघारक बनाया । नारायण ने सृष्टि में वैभव लाने के लिए अपनी शक्ति को स्वयं से पृथक किया जो लक्ष्मी बनकर सामने आईं और ब्रह्म देव ने सरस्वती देवी की उत्पत्ति की जो सृष्टि की उत्पत्ति में उनकी सहायता करें और जो ज्ञान का भंडार हो ।इस तरह सृष्टि के निर्माता , पालनकर्ता , संहारक , शक्ति की देवी दुर्गा , ऐश्वर्य और वैभव की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती , इन सबकी उत्पत्ति तथा इनके उत्तर दायित्व उन्हे मां आदि शक्ति ने सौंपे और इस सृष्टि का निर्माण किया गया। ब्राह्म देव ने पेड़ पौधे , जीव जंतु, वनस्पति , ऋषि मुनि, गंधर्व , राक्षस किन्नर , यक्ष , ग्रह नक्षत्र आदि की उत्पत्ति की और इस तरह जीवन की शुरुवात हुई। यह हमारे हिंदू धर्म में बताई गई सृष्टि की उत्पत्ति की कहानी है जो मेने आज आपको बताई है , अगर आपको अच्छा लगा तो कॉमेंट में जरूर बताएं, धन्यवाद, जय श्री कृष्ण और जय श्री राधे राधे।
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