मां दुर्गा का छठा स्वरूप मां कात्यायनी है।
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नमस्कार सभी को।
मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता के विषय में बताया था। आज नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है अतः आज में उनके विषय में बताऊंगी ।
मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठी शक्ति हैं । धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों के सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिने ओर के हाथ अभय मुद्रा और नीचे वाला वर मुद्रा में है। वहीं बाएं के ओर के हाथों में तलवार और पुष्प सुशोभित है। वे सिंह पर सवार हैं । उन्हें शक्ति , सफलता और प्रसिद्धि की देवी कहा जाता है ।शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने हेतु भी मां कात्यायनी की पूजा का विधान है । मां कात्यायनी को मधु और मधु से बने मिष्ठान अति प्रिय हैं।
कहा जाता है कि महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या करके मां दुर्गा को प्रसन्न किया । जब मां दुर्गा ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां को पुत्री के रूप में प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की । मां ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया ।
जब धरती पर महिषासुर राक्षस का आतंक बढ़ा तब त्रिदेवों के अंश से देवी ने महर्षि के घर जन्म लेकर राक्षस का वध किया ।
देवी का जन्म महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में हुआ था इसलिए उन्हें मां कात्यायनी कहा जाता है ।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां कात्यायनी का ये रूप अपनी आंतरिक शक्तियों को जगाने की शिक्षा देता है। धन्यवाद ।
मेरा ब्लॉग अच्छा लगा तो कॉमेंट में अवश्य बताएं।
जय माता दी ।
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