मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप मां स्कंदमाता है ।
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नमस्कार सभी को।
आज नवरात्रि का पांचवा दिन है , आज के दिन मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है। आइए स्कंदमाता के विषय में विस्तार से जानते हैं।
मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है स्कंदमाता । यदि इस शब्द स्कंदमाता का संधि विच्छेद करें तो बनता है (स्कंद + माता ) स्कंद अर्थात मां पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय तथा माता अर्थात कार्तिकेय की माता = स्कंदमाता ।
वैसे तो मां पार्वती सारे संसार की माता हैं किंतु जिस प्रकार हम आम स्त्रियां अपने नाम से जानी जाती हैं उतनी ही अपने बच्चों के नाम से भी जानी जाती हैं , उसी प्रकार मां पार्वती भी अपने ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय के नाम से स्कंदमाता कहलाती हैं मां का यह रूप सबसे सौम्य रूप है । भगवान कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे ।
मां स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयं सुलभ हो जाता है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी साथ ही हो।जाती है । यह विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है ।
सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवम कांति से संपन्न हो जाता है । एक अलौकिक आभा उसके मुख मंडल पर दिखने लग जाती है ।
हमें एकाग्रमन से मां के इस स्वरूप की उपासना करनी चाहिए ।इस घोर भवसागर के दुखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का इससे उत्तम उपाय दूसरा नहीं है ।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्ययै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां दुर्गा का ये स्वरूप तो है ही एक मां का स्वरूप जिनकी हम संतानें हैं । यदि सच्चे मन से मां से इस दिन कुछ भी मांगेंगे , चाहे वो कोई इच्छा हो या फिर हमारे दुखों का अंत हो , मां अवश्य पूर्ण करेगी परंतु यह हम पर निर्भर करता है कि भविष्य में हमें क्या फल मिलता है क्योंकि हम जो भी मांगते हैं उसके पीछे का मंतव्य , कारण शुभ , शुद्ध होना चाहिए । धन्यवाद ।
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जय माता दी।
Comments
Good👍
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