A facepack that reduces freckles, acne & blemishes, brithen the skin instantly.

robots.txt generated by www.seoptimer.com User-agent: * Disallow: Disallow: /cgi-bin/ Sitemap: http:/lavikeblogs.com/sitemap.xml # Blogger Sitemap created on Tue, 20 Jun 2023 03:53:36 GMT # Sitemap built with https://www.labnol.org/blogger/sitemap User-agent: * Disallow: /search Allow: / Sitemap: https://www.lavikeblogs.com/atom.xml?redirect=false'&start-index=1'&max-results=500
नमस्कार सभी को।
मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री के विषय में जानकारी दी थी । इस ब्लॉग में मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी के विषय में पढ़ेंगे ।
मां दुर्गा के नौ रूप हमारे भीतर स्थित हमारी शक्ति है जिसका हमें भान नहीं । मां के इन सभी स्वरूपों को हम अपनी शक्ति समझ अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है जिसकी हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवम बाएं हाथ में कमंडल रहता है। पार्वती पर्वतराज हिमावन के यहां जन्मी और बचपन से उन्हे महादेव से प्रेम हो गया , वे महादेव से संबंधित वस्तुओं को एकत्रित करती रहती थीं जैसे बेलपत्र , धतूरा इत्यादि। उनकी माता मैनावती को उनका महादेव के प्रति रुझान कतई नहीं भाता था। हिमावान पुत्री को अपनी इच्छा अनुसार वर चुनने की अनुमति देना चाहते थे इसलिए जब उन्होंने महादेव से विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो हिमावां जी ने अपनी पुत्री की माता को मनाने का पूर्ण प्रयास किया और दोनों के प्रयासों से मैनावती मान गईं किंतु महादेव को पाना इतना सरल नहीं था । उन्हे महादेव को पाने के लिए अपनी आदिशक्ति स्वरूप को जागृत करना होगा जो सरल नहीं था। तब उनका मार्ग दर्शन नारद मुनि जी ने किया । उनके दिखाए मार्ग से बहुत कठिन तपस्या करके देवी पार्वती ने महदेव को पाया । इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम मिला ।
एक हजार वर्ष उन्होंने केवल फल , मूल खाकर व्यतीत किए और १०० वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए मां पार्वती ने खुले आकाश के नीचे वर्षा , धूप , ठंड के भयानक कष्ट सहे। कई हजार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण उनका शरीर क्षीण हो गया था ।उनकी कठिन तपस्या के कारण तीनों लोकों में उनका नाम विख्यात हो गया था।
देवता , ऋषि, मुनि, सिद्धगण सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस अलौकिक तप की प्रशंसा करने लगे थे।अंत में ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हे संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा आज तक किसी ने इतनी कठिन तपस्या नहीं की , तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी और महादेव आपको अवश्य प्राप्त होंगे । इसके पश्चात सभी देवी देवताओं ने मिलकर महादेव और माता पार्वती का विवाह संपन्न करवाया ।
माता का ये स्वरूप हमें अपने संकल्प में दृढ़ होने का संदेश देता है। धन्यवाद ।
माता ब्रह्मचारिणी का ये वर्णन आपको कैसा लगा कॉमेंट बॉक्स अवश्य बताएं ।
जय माता दी।
Comments
Post a Comment