A facepack that reduces freckles, acne & blemishes, brithen the skin instantly.

robots.txt generated by www.seoptimer.com User-agent: * Disallow: Disallow: /cgi-bin/ Sitemap: http:/lavikeblogs.com/sitemap.xml # Blogger Sitemap created on Tue, 20 Jun 2023 03:53:36 GMT # Sitemap built with https://www.labnol.org/blogger/sitemap User-agent: * Disallow: /search Allow: / Sitemap: https://www.lavikeblogs.com/atom.xml?redirect=false'&start-index=1'&max-results=500
मां दुर्गा का यह रूप उनके विनाशकारी अवतारों में से एक है । मां कालरात्रि अंधकारमय शक्तियों का विनाश करने वाली , काल से रक्षा करने वाली और दानवीय शक्तियों का विनाश करने वाली हैं ।नकारात्मक शक्तियां माता के नाममात्र से ही भयभीत हो जाती हैं। मां कालरात्रि की आराधना से भक्त हर प्रकार के भय से मुक्त होता है और समस्त समस्याओं का निवारण होता है । शुभ फल देने के कारण माता को शुभकारी देवी भी कहा जाता है ।
मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत विकराल है । उनके शरीर का रंग अंधकार की भांति काला है। उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में मुण्डों की माला है । उनकी भुजाओं में अस्त्र शस्त्र विद्यमान हैं ।मां के चार भुजाओं में से एक में गंडासा और एक में वज्र है । मां के दो हाथ क्रमशः वर मुद्रा और अभय मुद्रा में है , इस दिन ब्राह्मणों को दान करने से आकस्मिक संकटों का नाश होता है और समस्त समस्याओं का निवारण होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार शुंभ निशुंभ दैत्यों ने अपने बल के मग्न में चूर होकर इंद्र देव से स्वर्ग का सिंहासन छीन लिया था। वे सभी देवताओं और ऋषि मुनि , गण इत्यादि को परेशान करते रहे जिससे परेशान होकर सभी देवतागण देवी भगवती का स्मरण करने लगे । देवी ने वचन दिया की में शुंभ निशुंभ का नाश कर सबको भय मुक्त कर दूंगी । इसके पश्चात मां दुर्गा ने शुंभ निशुंभ का वध कर दिया ।
शुंभ निशुंभ के वध के पश्चात उनकी मृत्यु से बौखलाया हुआ दैत्यराज रक्तबीज मां को ललकारने लगा। मां ने उसके साथ युद्ध किया और उसे मौत के घाट उतार दिया परंतु उसके देह से निकलने वाले रक्त से और लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रक्तबीज को ये वरदान प्राप्त था कि उसकी रक्त की जीतनी बूंदें धरती पर गिरेंगी , उतने और रक्तबीज उत्पन्न हो जाएंगे । यह देख मां दुर्गा ने मां कालरात्रि अर्थात मां काली का रूप धारण किया ।
रक्तबीज का सर धड़ से अलग कर दिया । सर कटने से उसके शरीर से जो रक्त बहा उसे मां कालरात्रि ने खप्पर में भर लिया और उसे पी लिया । इस प्रकार इस दैत्य का भी अंत हो गया और उसके रक्त से और रक्तबीज भी उत्पन्न नहीं हुए । इस प्रकार मां कालरात्रि अर्थात मां काली ने सबको रक्तबीज के अत्याचार से मुक्त कराया ।
ओम कालरात्र्यै नमः ।
ओम फट् शत्रुन साघय घातय ओम।
ओम ह्रीम श्री क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा ।
ओम ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी ।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद वैरीविनाशनम् नमो सें एं ओम ।।
मां कालरात्रि का यह रूप हमें अपने भय पर विजय प्राप्त कर अपने लक्ष्य तक पहुंचने की शिक्षा देता है । धन्यवाद ।
मेरा ब्लॉग अच्छा लगा तो कॉमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं।
जय माता दी।
Jai mata di
ReplyDelete