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नमस्कार सभी को।
मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के विषय में बताया था । आज नवरात्रि का नौवां व अंतिम नवरात्रा है । इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है अतः इस ब्लाग में उनके विषय में विस्तार से जानेंगे ।
जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है मां सिद्धिदात्री । अणिमा , महिमा , प्राप्ति , प्रकाम्य , गरिमा , लघिमा , ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं जो मां अपने भक्तों को प्रदान करती हैं ।
।ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे मन और विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं उनके सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं । इनके चार भुजाएं हैं और ये कमल पुष्प पर विराजमान हैं । इनके हाथों में शंख , चक्र , गदा , कमल का फूल है ।
मां सिद्धिदात्री भक्तों की कामनाएं पूर्ण करती हैं । उन्हें यश , बल और धन भी प्रदान करती हैं । शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना गया है ।
हीं क्लीं एं सिद्धयै नमः।
नवरात्रि के इस अंतिम दिवस भक्तों को सच्चे मन से मां की अराधना करनी चाहिए । इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए । यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है । ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है ।
नवरात्रि के इस दिन कन्या पूजन बोहोत ही शुभ माना गया है ।
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था । इनकी अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था । इसी कारण वे संसार में 'अर्धनारीश्वर ' नाम से प्रसिद्ध हुए ।
मां का ये स्वरूप हमको संसार को अपना ज्ञान और सिद्धियां आगे दूसरों को प्रदान करने की शिक्षा देती है जिस प्रकार मां सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अपनी समस्त सिद्धियां दे दी और स्वयं उनकी अर्धांगिनी बन गई। इससे उनकी सिद्धियां , ज्ञान कम नहीं हुए अपितु दोनो एक दूसरे के पूरक हो गए सृष्टि के संचालन हेतु। इसी लिए कहते हैं एक ज्ञान ही है जो बांटने से बढ़ता है, कम नहीं होता।
धन्यवाद ।
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जय माता दी।
Very good for our knowledge
ReplyDeleteThanks for your appreciation.
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