Hydra facial balm made at home.

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  Today hydra facials are in high demand and affective too . But they are too expensive.  But  taking a hydra facial from a good beauty salon is more effective because they have different equipment to do it more iffectively. But I will tell you some home remedies to get the benefits of hydra facial at home . This time I am telling you a method to make hydra facial balm,  but Ingredients needed in it you have to buy them . You can get them online easily.  * First thing I am using in this hydra facial balm is beeswax.  1. Beeswax creates a breathable barrier on the skin's surface, shielding it from external irritants like pollutants, harsh weather, and allergies.  This barrier helps to protect the skin from damage and keep it looking healthy.  2. Beeswax helps to prevent moisture loss from the skin's surface.  This helps to keep the skin hydrated, soft, and supple, especially beneficial for dry or sensitive skin.  3. It can also soothe irr...

होली की कथा , होली क्यों मनाई जाती है?

 नमस्कार सभी को। 

आज होली है और में आपके लिए होली की वास्तविक कथा जिसे अलग रूप से बताया गया और सबने मन लिया उसको सही रूपमें आपको कथा सुनाऊंगी ।


होली नाम होलिका नाम की एक स्त्री से पड़ा है। 


कथा इस प्रकार है, एक बोहोत ही क्रूर राजा था , राक्षस राज हिरण्यकश्यप । वो अपने राज्य में किसी को अपने सिवाय किसी और की पूजा नहीं होने देता था । कहता था वही भगवान है क्योंकि वो अत्यंत शक्तिशाली था। जो भी उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी देव की पूजा करता उसे उसके सैनिक बुरी तरह मारते , कारावास में बंद करके प्रताड़नाएं देते । उसके अत्याचारों से लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे थे। कुछ समय पश्चात उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उस समय उसने तप करने का प्रण किया था इस कारण अपनी पत्नी और होने वाली संतान की चिंता उसे हुई । किंतु उसकी पत्नी ने आश्वासन दिया कि अपना पूर्ण ध्यान रखेगी । हिरण्यकश्यप तप करने चला गया। जब इंद्र देव को पता चला कि इस राक्षस की पत्नी गर्भवती है तो उन्होंने उस होने वाली संतान को मारने का निश्चय करके हिरण्यकश्यप का रूप धारण करके उसकी पत्नी को ले जाने लगें। नारद मुनि वही से जा रहे थे , उन्हें पता था हिरण्यकश्यप तप करने गया है और ये कोई और है तो उन्होंने आज्ञा दी कि अपना असली रूप दिखाओ , इस स्त्री के साथ छल मत करो । इंद्र देव अपने असली रूप में आ गए। हिरण्यकश्यप की पत्नी ने नारद मुनि से अनुrरोध किया कि उसकी रक्षा करें । 

नारद मुनि के कहने पर इंद्र देव वापस चले गए। नारद मुनि उन्हें अपने साथ अपने आश्रम में ले गए । उन्होंने अपनी संतान को वहीं जन्म दिया जिसका नाम प्रह्लाद रखा । प्रह्लाद उस आश्रम के दैविक और पूजा पाठ , हवन सकारात्मक वातावरण में पला बढ़ा तो वैसे ही विचारों वाला बन गया। नारद मुनि का आश्रम था । जय नारायण , जय श्री हरि के वाक्यों से गूंजता था आश्रम । इस प्रकार प्रह्लाद थोड़ा बड़ा होते होते श्री हरि का अनन्य भक्त हो गया । 

हिरण्यकश्यप तप करके वापस  अपनी पत्नी और पुत्र से मिलकर अति प्रसन्न हुआ और नारद मुनि को धन्यवाद किया उन्हें वापस महल ले गया । जल्द ही उसको ज्ञात हो गया कि उसका पुत्र नारायण का भक्त है । उसने प्रह्लाद को कहा कि में यहां का भगवान हूं , मेरी पूजा करो, नारायण की नहीं । किंतु प्रह्लाद नहीं रुका । गुस्से में आकर उस राक्षस ने प्रह्लाद को समुद्र में गिराकर मरवाने का प्रयास किया किंतु नारायण ने अपने भक्त को डूबने से बचा लिया। उसके पश्चात उसने और अनेकों प्रयास किए प्रह्लाद को मरवाने के किंतु सफल नहीं हुआ । 


अंत में उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने को कहा क्यूंकि होलिका को ये वरदान था की वरदान की मिली चुनर ओढ़कर यदि वो आग में घुसेगी तो आग उसका कुछ नहीं बिगड़ेगी । ये चूनर वो जिसे पहनाएगी वो भी आग में नहीं जलेगा। हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया होलिका को कि तुम चूनर ओढ़कर प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा लेना । तुम नहीं जलोगी  , वो जल कर मर जाएगा । किंतु होलिका अपने भतीजे को नहीं मारना चाहती थी । चिता बनाई गई, होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर चूनर ओढ़कर बैठ गई उस चिता पर और सैनिकों ने चिता को आग लगा दी । उस समय होलिका ने चूनर अपने सिर से उतारकर प्रह्लाद को पहना दी । प्रह्लाद जलने से बच गया और होलिका जल कर भस्म हो गई। 

उस दिन राज्य के सभी लोग भूखे रहकर प्रह्लाद के बचने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। जब प्रह्लाद बच गया तो सब बोहोत खुश हुए और होलिका के त्याग के कारण उसे होलिका माता मान लिया और उस स्थान पर उनकी पूजा की । तभी से छोटी होली के दिन होली पूजने और  शाम को होलिका जलाते हैं। उसके अगले दिन लोगों ने खुश होकर रंगों से प्रह्लाद का स्वागत किया था, रंगों से खेला था इसलिए तब से रंगों से होली मनाने का रिवाज चल गया और आज भी रंगों से हम होली मनाते हैं । 

ये कथा बताती है कि सही करने से डरकर मत रुको , मृत्यु मिली  तो सदा के लिए पूजनीय, अमर हो जाओगे और जीवित रहे तो अंत में विजय तुम्हारी होगी । 

धन्यवाद ।

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Comments

  1. तभी होलिका दहन के समय होलिका मैया की जय बोलते हैं। बहुत लोगों का सका दूर हो गई होगी।👍

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    1. आपके इस कॉमेंट से और लिखने का प्रोत्साहन मिला , धन्यवाद ।
      Thanks for your appreciation . 🙂

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