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Showing posts from 2022

A hair pack to make your hair healthy , soft , smooth and frizz free .

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  Every one specially females wants their hair to be strong,  smooth,  silky and frizzy free . However the health of our hair depends on our daily routine,  enough sleep,  food intake,  stress free life , healthy food habits and on regular exercise too , however this routine keeps us healthy from head to toe but in this busy life like maximum people are working can't follow all these and not everyone can afford helpers at home to get help to follow a healthy life . But doing some extra efforts we can get these benefits like eating salads , seasonal fruits,  soakd almonds . But by applying some good hair masks we can get good texture of hair and even strong hair too  . Today I will tell you a hair mask  hair remedy  to get strong , healthy  , smooth,  silky and frizz free hair .  Quantity of hain mask : 1 bowl for single time usage.  Person : 1 per  Ingredients  :  Fuller's earth soaked in water  : ...

क्या समय बार बार खुद को दोहराता है, जाने श्री राम जी की कहानी ।

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   नमस्कार आप सभी को। आज जो कहानी में बताना चाहती हूं वो श्री राम के समय की कहानी है जिसमे बताया गया है कि समय बार बार स्वयं को दोहराता है । कहानी उस समय की है जब श्री राम का पृथ्वी पर समय पूर्ण हो गया था और उनके वैकुंठ वापस जाने का समय आ गया था और यमराज उन्हे लेने के लिए पोहच गए थे परंतु महल में प्रवेश नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उनको श्री राम के परम भक्त और महल के मुख्य प्रहरी हनुमान जी  से डर लगता था । उन्हे भय था कि यदि हनुमान को ये पता चला कि वो प्रभु श्री राम के प्राण लेने आए हैं तो हनुमान बोहोत क्रोधित हो जाएंगे और न जाने क्या कर बैठेंगे  इसलिए उन्होंने श्री राम  जी से ही आग्रह किया कि वे ही कोई हल निकालें । तब श्री राम ने अपनी उंगली से एक मुद्रिका  निकली और उसे महल के प्रांगण में एक छिद्र था उसमे गिरा दी ।  वो छिद्र  कोई मामूली छिद्र नहीं बल्कि एक सुरंग का रास्ता था जो सीधा नागलोक तक पोहचता था । श्री राम ने हनुमान जी को कहा कि मेरी  मुद्रिका  इस छिद्र में गिर गई है , ढूंढकर ले आओ। हनुमान जी ने उनकी आज्ञा का पालन करते हुए स्वयं का आ...

सृष्टि की उत्पति।

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 नमस्कार, जय सिया राम आप सभी को। सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी हमारे हिंदू धर्म में कई कहानियां बताई हैं, मुझे जो सही लगती है वो में आज आपको बताना चाहती हूं। इस पूरे ब्रह्मांड को जो शक्ति चलाती है वो निर आकर है, जिसका न कोई नाम है न आकार पर अलग अलग धर्म अलग अलग ईश्वर को मानते है जो सबको लगता है कि वही इस संसार को चलाते हैं तथा वही हमारी सुनते हैं , वही हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें देते हैं पर शक्ति एक ही है जिसके हमने भिन्न भिन्न नाम रखे हैं , अब हमारे हिंदू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति , त्रिदेवों तथा त्रिदेवियों की उत्पत्ति कैसे हुई ये में आपको बताना चाहती हूं। हमारे हिंदू धर्म में जो निर आकार शक्ति बताई गई है वो है ओंकार । यह ओंकार ही है जिसने हर चीज को टिकाया हुआ है वरना ब्रह्मांड में जो ग्रह , नक्षत्र , अनगिनत तारे हैं वो गिरते क्यों नहीं , क्योंकि कोई तो शक्ति है जो इन सबको थामे हुए है अब चाहे विज्ञान में उसे गुरुत्वाकर्षण कह लो , पर ये गुरुत्वाकर्षण भी तो शक्ति है। अब कहानी यह है कि  जब ओंकार ने ब्रह्मांड की रचना करने के लिए शक्ति को स्वयं से पृथक किया । तब य...

मां दुर्गा का छठा स्वरूप मां कात्यायनी है।

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  नमस्कार सभी को। मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता के विषय में बताया था। आज नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है अतः आज में उनके विषय में बताऊंगी ।  मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठी शक्ति हैं । धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों के सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिने ओर के हाथ अभय मुद्रा और नीचे वाला वर मुद्रा में है। वहीं बाएं के ओर के हाथों में तलवार और पुष्प सुशोभित है। वे सिंह पर सवार हैं । उन्हें शक्ति , सफलता  और प्रसिद्धि की देवी कहा जाता है ।शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने हेतु भी मां कात्यायनी की पूजा का विधान है । मां कात्यायनी को मधु और मधु से बने मिष्ठान अति प्रिय हैं। कहा जाता है कि महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या करके मां दुर्गा को प्रसन्न किया । जब मां दुर्गा ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां को पुत्री के रूप में  प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की । मां ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया । जब धरती पर महिषासुर राक्ष...

मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप मां स्कंदमाता है ।

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 नमस्कार सभी को। आज नवरात्रि का पांचवा दिन है , आज के दिन मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है। आइए स्कंदमाता के विषय में विस्तार से जानते हैं।  मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है स्कंदमाता । यदि इस शब्द स्कंदमाता का संधि विच्छेद करें तो बनता है (स्कंद + माता ) स्कंद अर्थात मां पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय तथा माता अर्थात कार्तिकेय की माता = स्कंदमाता ।  वैसे तो मां पार्वती सारे संसार की माता हैं किंतु जिस प्रकार हम आम स्त्रियां अपने नाम से जानी जाती हैं उतनी ही अपने बच्चों के नाम से भी जानी जाती हैं , उसी प्रकार मां पार्वती भी अपने ज्येष्ठ पुत्र  भगवान कार्तिकेय के नाम से स्कंदमाता कहलाती हैं मां का यह रूप सबसे सौम्य रूप है । भगवान कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे । मां स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।  इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयं सुलभ हो जाता है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी साथ ही हो।जाती है । यह व...

मां दुर्गा का चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा है।

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  नमस्कार सभी को। मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा के विषय , भाव और संदेश की जानकारी आप सब को दी थी ।आज  चौथा नवरात्र है ।  इस  दिन मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है। आइए उनके इस स्वरूप  को  हम  विस्तार से जानते हैं । संस्कृत भाषा में कूष्मांड कुम्हड़े (कद्दू) को कहते हैं ।कद्दू या कद्दू से बना मिष्ठान जैसे पेठा इन्हे बहुत अधिक प्रिय है इसलिए भक्त इन्हे कद्दू से बने मिष्ठान चढ़ाते हैं , इस कारण से भी इन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा नाम से जाना जाता है।  मां कूष्मांडा तेज की देवी हैं । इन्हीं के तेज और प्रकाश से दशों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहते हैं कि सारे ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कूष्मांडा हैं । देवी कूष्मांडा का स्वरूप मंद मंद मुस्कुराने वाला है । कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तो देवी भगवती के इसी स्वरूप  ने  मंद मंद मुस्कुराते हुए सृष्टि की...

मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा का वर्णन व महत्व ।

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  नमस्कार सभी को। मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप का वर्णन किया था। आज तीसरा नवरात्र है जिसमे मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।  मां चंद्रघंटा पापों का नाश करती हैं और राक्षसों का वध करती हैं। मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार , त्रिशूल , धनुष और गदा रहता है। उनके सिर पर आधा चांद घंटे के आकार में विराजमान रहता है इसीलिए मां के तीसरे स्वरूप को मां चंद्रघंटा का नाम दिया गया है।  दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खड़ग संग बांद । घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण । सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर । करती विपदा शांति  हरे भक्त की पीर । मधुर वाणी बोलकर सबको देती ज्ञान । भव सागर में हूं फंसा , करो मेरा कल्याण । मां चंद्रघंटा की कथा इस प्रकार है कि एक समय महिषासुर नाम का असुर अपनी सेना लेकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने पोहांच गया । वह अत्यंत शक्तिशाली था । उसे वरदान प्राप्त था कि केवल एक स्त्री ही उसका अंत कर सकती है और कोई नहीं जिसके अहंकार में महिषासुर त्रिलोक पर विजय प्राप्त करना चाहता था। उस वरदान के कारण महिषासुर ने देवताओं को हरा ...

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है।

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  नमस्कार सभी को। मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के पहले रूप मां शैलपुत्री के विषय में जानकारी दी थी । इस ब्लॉग में मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी के विषय में पढ़ेंगे ।  मां दुर्गा के नौ रूप हमारे भीतर स्थित हमारी शक्ति है जिसका हमें भान नहीं । मां के इन सभी स्वरूपों को हम अपनी शक्ति समझ अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं। मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है जिसकी हम नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करते हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवम बाएं हाथ में कमंडल रहता है। पार्वती पर्वतराज हिमावन के यहां जन्मी और बचपन से उन्हे महादेव से प्रेम हो गया , वे महादेव से संबंधित वस्तुओं को एकत्रित करती रहती थीं जैसे बेलपत्र , धतूरा इत्यादि। उनकी माता मैनावती को उनका महादेव के प्रति रुझान कतई नहीं भाता था। हिमावान पुत्री को अपनी इच्छा अनुसार वर  चुनने की अनुमति देना चाहते थे इसलिए जब उन्होंने महादेव से विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो हिमावां जी ने अपनी पुत्री की माता को मनाने का पूर्ण प्रयास किया और दोनों के प्रयासों से मैनावती मान गईं किंतु महादेव को पाना इतना सरल ...

दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप मां शैलपुत्री है।

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 ।  नमस्कार सभी को। आज से नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं। इसलिए में भी सोच रही हूं कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों का विस्तार से वर्णन करूं तो प्रतिदिन नौ दिनों तक उनके प्रत्येक रूप का वर्णन करूंगी।  नवरात्र स्वयं की प्रतिभा को समझने का अद्भुत महापर्व है। अश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा से नवमी  तक यह नवरात्र मनुष्य  की आंतरिक ऊर्जाओं के भिन्न भिन्न रूपों  का प्रतिनिधित्व करती है। इनको ही नौ देवियों का  नाम दिया गया  है । शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि , महागौरी , सिद्धिदात्री ये मां दुर्गा के नौ रूपों के नाम अवश्य हैं किंतु ये धार्मिक रूप से हमें बताने का माध्यम है कि ये मनुष्य की अपनी ही ऊर्जा के नौ रूप हैं ।  मां के नौ रूपों में से प्रथम रूप माना जाता है शैलपुत्री जिसके विषय में हम विस्तार से जानेंगे ।  माता सती के स्वयं की ऊर्जा से आत्म दाह करने के पश्चात उन्होंने पर्वतराज हिमावन (हिमालय) के यहां जन्म लिया । उन्होंने प्रेम से अपनी पुत्री का नाम पार्वती रखा । पार्वती को शैलपु...

मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि है।

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  मां दुर्गा का सातवां रूप मां कालरात्रि है आज नवरात्रि का सातवां दिन है ।आज के दिन मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होती है।  मां दुर्गा का यह रूप उनके विनाशकारी अवतारों में से एक है । मां कालरात्रि अंधकारमय शक्तियों का विनाश करने वाली , काल से रक्षा करने वाली और दानवीय शक्तियों का विनाश करने वाली हैं ।नकारात्मक शक्तियां माता के नाममात्र से ही भयभीत हो जाती हैं। मां कालरात्रि की आराधना से भक्त हर प्रकार के भय से मुक्त  होता है  और समस्त समस्याओं का निवारण होता है । शुभ फल देने के कारण माता को शुभकारी देवी भी कहा जाता है । मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत विकराल है । उनके शरीर का रंग अंधकार की भांति काला है। उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में मुण्डों की माला है । उनकी भुजाओं में अस्त्र शस्त्र विद्यमान हैं ।मां के चार भुजाओं में से एक में गंडासा और एक में वज्र है । मां के दो हाथ क्रमशः वर मुद्रा और अभय मुद्रा में है , इस दिन ब्राह्मणों को दान करने से आकस्मिक संकटों का नाश होता है और समस्त समस्याओं का निवारण होता है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार शुंभ निशुंभ दैत...

सनातन धर्म से जुड़ी कहानियों का सही अर्थ समझें।

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नमस्कार और जय सिया राम आप सभी को।संसार पुरुष और प्रकृति के मिलन से बना है , पेड़ पौधे जीव जंतु मनुष्य सभी इसका हिस्सा है, हम स्त्री और पुरुष दोनों के अंदर स्त्री तत्व और पुरुष तत्व दोनो होते हैं जिसे बताने के लिए हमारे धर्म में कई कहानियां बताई गई हैं जिनमे से एक में आज आपको बताना चाहती हूं।हमारे ऋषियों में एक महान ऋषि हुए हैं जिनका नाम भृंगी ऋषि था , वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे , किंतु वो केवल महादेव की ही पूजा करते थे परंतु माता पार्वती की पूजा नहीं करते थे , वो महादेव और पार्वती को एक नहीं मानते थे , पुरुष प्रकृति एक है इस ज्ञान से अनभिज्ञ थे। एक बार ऋषि भृंगी कैलाश पर्वत महादेव के दर्शन करने तथा उनकी परिक्रमा करने पोहंचे, परंतु महादेव समाधि में लीन थे तथा माता पार्वती उनकी बांई जांघ पर बैठी हुई थीं यह देखकर उन्हें अच्छा नहीं लगा , वो केवल महादेव की परिक्रमा करना चाहते थे , वो मानते थे ' शिवस्य चरणम केवलम ' इसलिए उन्होंने माता आदिशक्ति को ही कह दिया कि आप महादेव से अलग होकर कहीं और बैठ जाएं , जिससे वो सिर्फ महादेव की परिक्रमा कर सकें , माता समझ गईं कि यह ऋषि तो हैं प...

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